शेयर बाजार केवल फायदे के सौदों के लिए है....

अमरीकी निवेशक बर्नार्ड बारुक का कहना है कि शेयर बाजार केवल फायदे के सौदे करने की जगह है न कि घाटे का। उन्‍होंने अपनी पुस्‍तक में लिखा है कि एक नियम गांठ बांध कर रखों कि शेयर बाजार में कभी नुकसान नहीं करना। यानी केवल लाभ कमाने के लिए ही शेयर बाजार में कदम रखें। अब जरा यह सोचिए कि ऐसा कोई निवेशक होगा, जो शेयर बाजार में घाटा खाने के लिए जाता होगा।

बारुक के नियम में यह रहस्‍य छिपा है कि कोई भी सौदा करने से पहले पूरा रिसर्च करें फिर निवेश। यानी उठने वाले एक भी गलत कदम को रोक लेने का अर्थ है नुकसान को रोक लेना। कई लोग इस पर कह सकते हैं कि जो शेयर बाजार में खूब कमाते हैं या घाटा नहीं खाते, ऐसे लोग मुंह में सोने का चम्‍मच लेकर पैदा होते हैं। लेकिन मैं आपको बता दूं कि ऐसा नहीं होता। एक आदमी कहां कहां निवेश कर सकता है, वह गणित इस दुनिया में आकर ही सीखा जा सकता है। लेकिन बड़ा तबका यह नहीं देखता कि वह कहां निवेश कर रहा है। या सुनी सुनाई सूचनाओं के आधार पर निवेश किया जा रहा है या फिर किसी के पीछे पीछे।

सही निवेशक हमेशा अपना रास्‍ता खुद बनाते हैं और खूब होमवर्क करते हैं। निवेश करने वाली हर जगह और हर कंपनी के बारे में इतना कुछ मुंह जबानी याद रखते हैं जितना शायद उस कंपनी का कोई निदेशक भी याद नहीं रख पाता होगा। लेकिन हर निवेशक पैसा तो चाहता है लेकिन लिखना पढ़ना और सूचनाएं जुटाने से बचना चाहता है। वह चाहता है कि सूचनाएं जुटाने की मेहनत कोई और करे, हम केवल मुनाफा काटें। लोग बड़े बड़े निवेशकों के बेचारे ड्राइवरों के पीछे पड़े रहते हैं कि सेठ जी फोन पर किस शेयर के बारे में बात कर रहे थे। ड्राइवर ने कुछ सुना और कुछ नहीं.....जो बताया लोग दौड़ पड़े। अरे सोचो जरा यदि ड्राइवर इतना जानता तो वह खुद सेठ बनकर एक ड्राइवर नहीं रख लेता।

एक किस्‍सा बताता हूं.....एक टीवी चैनल ने एक बार बड़े और प्रसिद्ध निवेशक राकेश झुनझूनुवाला से पूछा कि लोग आपके ड्राइवर को पकड़ते हैं कि किस शेयर में पैसा लगाएं...उन्‍होंने कहा तो ड्राइवर से पूछकर निवेश करने वालों को आप पकड़ों और बताओं उनमें से कितने राकेश बने हैं। कमल शर्मा को स्‍वर्ग जाना है तो पहले स्‍वर्गीय बनना होगा। कहने का मतबल है कि यदि बढि़या निवेशक बनना है और जमकर कमाना है तो खूब सूचनाएं जुटानी होगी, उनके सही अर्थ भी निकालने होंगे। इन खबरों का अल्‍प समय, मध्‍यम समय और दीर्घकाल में क्‍या असर पड़ेगा, यह भी विश्‍लेषण करना होगा। इटली में जन्‍में और अमरीका में जाकर बसे निवेशक बर्नार्ड बारुक शायद यही कहना चाहते हैं कि खुद मेहनत करो। आप जरा सोचिए जिसने 20 साल पहले अंबालाल साराभाई और बजाज ऑटो के शेयर खरीदे थे उनमें अंबालाल साराभाई के शेयरों की वेल्‍यू को कोई अता पता नहीं, जबकि बजाज ऑटो आज किस जगह खड़ा है सभी को पता है। धीरुभाई अंबानी का कहना था कि सूचना पाने के लिए कोई भी कीमत चुकानी पड़े तो हिचके नहीं।

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