बीएसई सेंसेक्‍स दिवाली तक 17 हजार

भारतीय शेयर बाजार एक बड़े झटके से उबरता हुआ एक बार फिर नई ऊंचाई की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में यह सवाल फिर से हर निवेशक के मन में उठ रहा है कि क्‍या शेयर बाजार फिर से गोता तो नहीं लगा जाएगा या यह तेजी का माहौल निरंतर बना रहेगा। यदि हम भारतीय शेयर बाजार के मौजूदा रुझान को देखें तो बीएसई सेंसेक्‍स इस साल के अंत तक 17 हजार अंक को पार कर सकता है बशर्ते राजनीतिक मोर्चे पर स्थिरता कायम रहे।

भारत अमरीका परमाणु करार की समीक्षा के लिए समिति बनने के बाद भी जिस तरह के बयान आ रहे हैं उससे यह लगता है कि कांग्रेस एवं वामपंथी एक दूसरे की ताकत और संभावना को टटोल रहे हैं, जबकि समिति बनने के बाद सार्वजनिक बयान बंद हो जाने चाहिए थे और जो कुछ आना चाहिए वह समिति की रिपोर्ट के माध्‍यम से आना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। माकपा महासचिव प्रकाश कारत का मूड कुछ और ही दिखता है। संभवत: वे चाहते होंगे कि उनकी अगुआई में वामपंथी पश्चिम बंगाल एवं केरल के साथ कुछ और जगह अच्‍छा प्रर्दशन कर सकते हैं। यदि वामपंथी केंद्र सरकार का साथ छोड़ते हैं तो बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज का सेंसेक्‍स इस साल के अंत तक 17 हजार अंक को नहीं छू पाएगा। राजनीतिक और आर्थिक पहलू सभी देशों के विकास पर सीधा असर डालते हैं और जब तक इन दोनों मोर्चो पर चंचलता रहेगी, सब कुछ ठीकठाक नहीं हो सकता। कुछ दिनों पहले जिस तरह की राजनीतिक बयानबाजी चली उससे आर्थिक सुधारों पर विपरीत असर पड़ता है। सरकार अनेक आर्थिक सुधार करना चाहती है लेकिन गठबंधन सरकार होने से सब कुछ संभव नहीं हैं। भाजपा की भी सरकार गठबंधन सरकार थी, सो उसे भी कई समझौते करने पड़े। तेज आर्थिक विकास के लिए एक दलीय सरकार का होना जरुरी है या फिर आपसी सूझबूझ बड़ी होनी चाहिए।

अब हम यहां यह मान लेते हैं कि खींचतान के बावजूद मौजूदा केंद्र सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर लेगी। ऐसा होता है तो इस साल के आखिर तक बीएसई सेंसेक्‍स 17 हजार अंक को पार कर लेगा। वाह मनी का मानना है कि अगले साल यानी 2008 के आखिर में सेंसेक्‍स 25 हजार अंक के आसपास दिखाई देगा। सेंसेक्‍स के इस सफर में अब आईटी क्षेत्र की भूमिका बड़ी नहीं रहेगी, यह तय है। सेंसेक्‍स के अगले सफर के साथी पावर, पावर ट्रांसमिशन, पावर डिस्‍ट्रीब्‍यूशन, कंसट्रक्‍शन, कैपिटल गुड्स और मेटल क्षेत्र की कंपनियां होंगी। इस समय अनेक गैर अमरीकी फंड भारत की ओर देख रहे हैं, जो शेयर बाजार के लिए अच्‍छी खबर है। साथ ही अमरीकी फेड रिजर्व की 18 सितंबर को होने वाली बैठक में ब्‍याज दरों में 25 अंक तक की कटौती होने की उम्‍मीद है, जो शेयर बाजार के लिए एक बेहतर खबर होगी। हालांकि, क्रूड के दाम शेयर बाजार के लिए जरुर चिंताजनक है क्‍योंकि इस समय क्रूड का दाम तकरीबन 80 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल चल रहा है जिसे जरुर चिंता हो रही है और यह कारक अर्थव्‍यवस्‍था पर दबाव डालता है लेकिन उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाओं को अंतरराष्‍ट्रीय कारकों को सहना पड़ता है। भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था पहले भी इस तरह के दबाव को झेल चुकी है।

जेएम फाइनेंशियल के कार्यकारी निदेशक और पूंजी बाजार प्रमुख अतुल मेहरा का कहना है कि इस साल दिवाली तक बीएसई सेंसेक्‍स 17500 अंक को छू लेगा। वे भारतीय शेयर बाजार में बड़ी तेजी मानते हैं। अडवानी ओटीसी डीलर्स के पशुपति अडवानी की राय में बाजार में मंदी आएगी और बीएसई सेंसेक्‍स 16 हजार अंक को छूने से पहले 15 हजार तक लौटेगा। तकनीकी विश्‍लेषक हितेंद्र वासुदेव की राय में सेंसेक्‍स इस समय फिर से अपनी पिछली ऊंचाई के करीब है और यदि यह पुलबैक नहीं होता है तो दिवाली से दिसंबर अंत तक 17/18 हजार अंक पहुंच सकता है। वासुदेव का कहना है कि पावर, पावर ट्रांसमिशन, पावर डिस्‍ट्रीब्‍यूशन, कंसट्रक्‍शन कंपनियों के शेयर तेजी से बढ़ेंगे। इसके अलावा वे एफएमसीजी क्षेत्र को डार्क हॉर्स मानते हैं। उनकी राय में इस एफएमसीजी कंपनियों के शेयरों के दाम काफी नीचे आ चुके हैं और अब इनमें भी तेजी की संभावना दिख रही है।

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