अनिल अंबानी का सच अश्वत्थामा के मरने जैसा


मुंबई। अनिल अंबानी सूमह ने स्पष्ट किया है कि सेबी की जांच का निपटान कंपनी की स्वैच्छिक शर्तों पर हुआ है। सेबी ने रिलायंस इन्फ्रा और आरएनआरएल या उसके निदेशकों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। जबकि, स्थिति इसके विपरीत है। सेबी ने अपने चार पेज के आर्डर में रोक की बात कही है। लेकिन स्थिति पांडवो और कौरवो के गुरु द्रोणाचार्य के बेटे अश्वत्थामा के मरने जैसे है। पहले अश्वत्थामा की कथा को जान लीजिए:

महाभारत युध्द के समय गुरु द्रोणाचार्य जी ने हस्तिनापुर राज्य के प्रति निष्ठा होने के कारण कोरवो का साथ देना उचित समझा। अश्वत्थामा भी अपने पिता की तरह शास्त्र व शस्त्र विद्या मे निपूण थे। महाभारत के युद्ध में उन्होंने सक्रिय भाग लिया था। महाभारत युद्ध में ये कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे। उन्होंने भीम-पुत्र घटोत्कच को परास्त किया तथा घटोत्कच पुत्र अंजनपर्वा का वध किया। उसके अतिरिक्त द्रुपदकुमार, शत्रुंजय, बलानीक, जयानीक, जयाश्व तथा राजा श्रुताहु को भी मार डाला था। उन्होंने कुंतीभोज के दस पुत्रों का वध किया। पिता-पुत्र की जोडी ने महाभारत युध्द के समय पाण्डव सेना को तितर-बितर कर दिया।

पांडवो की सेना की हार देख़कर श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कुट-निति सहारा लेने को कहा। इस योजना के तहत यह बात फेला दी गई कि "अश्वत्थामा मारा गया" जब गुरु द्रोणाचार्य ने धर्मराज युधिष्ठिर से अश्वत्थामा की सत्यता जानना चाही तो उन्होने जवाब दिया-"अश्वत्थामा मारा गया परन्तु हाथी" श्रीकृष्ण ने उसी समय शन्खनाद किया,जिसके शोर से गुरु द्रोणाचार्य आखरी शब्द नही सुन पाए। अपने प्रिय पुत्र की मोत का समाचार सुनकर आपने शस्त्र त्याग दिए और युध्द भूमि मे आखे बन्द कर शोक अवस्था मे बैठ गए। गुरु द्रोणाचार्य जी को निहत्ता जानकर द्रोपदी के भाई द्युष्टद्युम्न ने तलवार से आपका सिर काट डाला। गुरु द्रोणाचार्य जी की निर्मम हत्या के बाद पांडवों की जीत होने लगी।

सेबी ने अनिल अंबानी समूह की कंपनियों रिलायंस इन्फ्रा और आरएनआरएल के खिलाफ प्रतिभूति बाजार नियमों के संभावित उल्लंघन मामले को शुल्क लेकर निपटाने की घोषणा की थी। इसके साथ ही इन कंपनियों पर 2012 तक शेयर बाजार में निवेश पर रोक लगा दी गई थी। साथ ही अनिल अंबानी सहित कंपनी के निदेशकों पर शेयरों में दिसंबर 2011 तक निवेश करने पर रोक लगाने का फैसला किया गया था।

समूह ने कहा है कि सेबी ने इन कंपनियों या उनके निदेशकों पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया है और इस मामले को स्वैच्छिक शर्तों के आधार पर निपटाया गया है। हालांकि, अनिल अंबानी की यह बात सच है कि इन कंपनियों और अधिकारियों के म्यूचुअल फंड, प्राथमिक बाजार, पुनखर्रीद और खुली पेशकश पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। सेबी के आदेश में जिन अन्य अधिकारियों के नाम शामिल हैं उनमें रिलायंस इन्फ्रा के उपाध्यक्ष सतीश सेठ और तीन निदेशक एस सी गुप्ता, ललित जालान और जेपी चलसानी शामिल हैं।

अनिल अंबानी का यह कहना है कि इस मामले को स्वैच्छिक शर्तों के आधार पर निपटाया गया है...में कुछ तो खास है। सेबी गलत है तो सेबी से भिड़ना ही चाहिए क्‍योंकि 50 करोड़ रुपए इतने बड़े कारोबारी समूह के लिए मामूली रकम हो सकती है लेकिन आम तौर पर यह मामूली रकम नहीं है। सेटलमेंट कब किया जाता है, कौनसी परिस्थितियों में किया जाता है, इसे बताने की आवश्‍यकता नहीं है। इस सेटलमेंट के लिए सेबी ने पहल की या अनिल अंबानी समूह ने...इसे जग जाहिर किया जाना चाहिए। यदि सेबी पहल कर रही है तो उसने पहले इस कारोबारी समूह को परेशान करने के लिए यह सब पैतरेबाजी क्‍यों की, किसके कहने पर की। यदि सेटलमेंट के लिए अनिल अंबानी समूह ने पहल की तो...निवेशकों को इसका जवाब बताना चाहिए कि पूरा माजरा क्‍या था कि अंतत: सेटलमेंट की नौबत आई।

सेबी का चार पेज का ऑर्डर यहां पढ़े जिसमें रोक की बात है।

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
kya baat hai!!!! mahabharat ki itni achhi jaankari ,mujhe ummid nahin thi ....main swikaar kar raha hoon .aur kya kahoon ,baaki baate fone par karonga.

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