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दुखियारे निवेशकों को कोर्ट से सहारा

भारतीय शेयर बाजार में मार खाए लाखों निवेशक बरसों से इस बात के लिए तड़प रहे थे और अंतत: रो धोकर चुप बैठ गए थे कि उनके पास पड़े ढ़ेरों शेयरों में कोई कारोबार नहीं हो रहा जिन कंपनियों एवं प्रमोटरों की बेईमानी का वे शिकार हुए हैं। शेयर बाजार के कोतवाल सेबी और स्‍टॉक एक्‍सचेंज बीएसई, एनएसई को भी लिखे खतों की तारीखें तक वे भूल चुके थे। निवेशक इन कारोबार न हो रही कंपनियों के शेयरों में फंसे अपने पैसे को पूरी तरह भूल चुके थे। जब इन कंपनियों के शेयरों में कामकाज ही नहीं हो रहा है तो कुछ पैसे तो दूर की बात निवेशक एक धैला तक नहीं पा सकते। लेकिन दिल्‍ली हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद अब इन हजारों निवेशकों को अपने लिए छोटी से आशा दिखाई दे रही है। निवेशकों के हितों के लिए काम कर रही संस्‍था मिडास टच ने दिल्‍ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है जिसमें अदालत से यह अनुरोध किया गया कि वह 2048 कंपनियों के खिलाफ कदम न उठाने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई के विरुद्ध कार्रवाई करें। एमएस शाहू कमेटी की सिफारिशों के बावजूद सेबी जो अपने को निवेशकों के हितों के लिए काम करने का दावा करती है, ऐसी 2048 कंपन

सेबी को मीडिया की भूमिका की भी जांच करनी चाहिए

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भारतीय शेयर बाजार में आई तीन हजार अंकों की गिरावट के पीछे क्‍या क्‍या कारण थे, इनकी जांच करने का जिम्‍मा सेबी निभाएगी। सेबी का मानना है कि ताजा गिरावट के पीछे कुछ न कुछ गड़बड़ी है। खबरों के मुताबिक सेबी ब्रोकरेज कंपनियों, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) और म्युचुअल फंड जैसी 25 फर्मों की जांच कर रहा है। शुरूआती जांच से मंदडि़यों के बीच साठगांठ के कम-से-कम तीन मामलों का पता चला है। इकानॉमिक टाइम्‍स की खबर के मुताबिक मंदडि़या आपस में मिलकर कुछ शेयरों का बाजार तोड़ते हैं। यह काम वे या तो खुद उन शेयरों को शेयरों की लिवाली के लिए या फिर कंपनी के व्यावसायिक प्रतिद्वंद्वियों के इशारे पर करते हैं। उल्लेखनीय है कि पांच नवंबर को बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचेंज का सेंसेक्स 21004 अंक की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद से यह तीन हजार से अधिक अंक या 15 फीसदी नीचे आ गया है। सेबी ने जो कदम उठाया है वह प्रशंसा के योग्‍य है। शेयर बाजार के दो प्रमुख प्‍लेयर तेजडि़यों और मंदडि़यों की जांच के अलावा एक और पक्ष मीडिया की भी जांच की जानी चाहिए। यह सही है कि बाजार में पिछले कुछ दिनों से काफी नकारात्‍मक खबरों की बा

परदेसी ने छोड़ा साथ, बाजार का हुआ सत्‍यानाश

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तुम तो ठहरे परदेसी...साथ क्‍या निभाओगे..यह गाना इस समय शेयर बाजार पर सटीक बैठ रहा है। शेयर बाजार के फंडामेंटल और तकनीकी विश्‍लेषकों के साथ सरकारी एजेंसियों के कर्ता धर्ता भी यह कहते रहे कि इंडिया ग्रोथ स्‍टोरी, इंडिया शाइनिंग, मेरा भारत महान...आप देखते जाइए कि विदेशी निवेशक यहां से भाग नहीं पाएंगे। विदेशी पैसे के आगमन को लेकर निवेशक चिंता न करें, पैसा लगातार आता रहेगा। निवेशक चैन की नींद सोएं। लेकिन ताजा आंकडें देखिए...इन्‍हीं निवेशकों ने भारत सहित सभी उभरते बाजारों का सत्‍यानाश कर दिया। ताजा आंकडे देखिए...2 फरवरी 2011 को समाप्‍त सप्‍ताह में इन निवेशकों ने सात अरब डॉलर निकाल लिए। बीते तीन सालों में बाजार से निकाली गई यह सबसे ज्‍यादा रकम है। इस राशि में 4.6 अरब डॉलर की राशि एक्‍सचेंज-ट्रेडेड फंड से निकाली गई रकम है। भारतीय बाजार से इन निवेशकों ने 20.7 करोड़ डॉलर की राशि निकाली है जो जून 2010 के बाद सबसे अधिक है। अभी यह निकलती राशि थमने का नाम नहीं ले रही है। 2 फरवरी के बाद भी बाजार लगातार गिरते जा रहा है। गिरावट जहां जाकर थमेगी, वहां पता चलेगा कि भारत सहित उभरते बाजारों से परदेसियों ने

दलाल स्‍ट्रीट: रिटेल इनवेस्‍टर है कौन

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दलाल स्‍ट्रीट के बारे में 4 फरवरी 2011 को पोस्‍ट में लिखा था कि दलाल स्‍ट्रीट: डे ऑफ डिपार्चर...। दलाल स्‍ट्रीट में चल रही गिरावट पर रोज जो खबरें आती हैं उनमें यह होता कि फंडों के साथ रिटेल इनवेस्‍टर शेयरों को बेच रहे हैं जिससे यह गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही। हालांकि, जब बाजार में हर रोज सकारात्‍मक खबरें आ रही थीं तब भी रिटेल इनवेस्‍टरों की कोई बड़ी खरीद नहीं थी। रिटेल इनवेस्‍टर रिलायंस पावर के आईपीओ के बाद हुई पिटाई को आज तक भूल नहीं पाए हैं जिसकी वजह से इन इनवेस्‍टरों ने मंदी के उबरने के बाद आई तेजी में न तो ज्‍यादा शेयर खरीदें और न ही इन्‍हें अब तक रख पाए। ये निवेशक तो सेंसेक्‍स के 19 हजार के बाद और 21 हजार पहुंचने से पहले ही अपने शेयर बेच चुके थे और केवल तमाशाबीन बने हुए थे। केवल सेंसेक्‍स के बढ़ने और घटने का आनंद ले रहे थे इस अफसोस के साथ कि वे पैसा कमा न सके। लेकिन अब जब बाजार रोज पीट रहा है वे खुश हैं कि अच्‍छा हुआ बच गए। पिछली पिटाई से अब तक की बढ़त में कितने करोड़ों के शेयर रिटलेरों ने खरीदे, यह जानना सेबी के लिए कोई कठिन काम नहीं है। इन निवेशकों से पूछो तो पता चलेगा कि उनक

अनिल अंबानी का सच अश्वत्थामा के मरने जैसा

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मुंबई। अनिल अंबानी सूमह ने स्पष्ट किया है कि सेबी की जांच का निपटान कंपनी की स्वैच्छिक शर्तों पर हुआ है। सेबी ने रिलायंस इन्फ्रा और आरएनआरएल या उसके निदेशकों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है। जबकि, स्थिति इसके विपरीत है। सेबी ने अपने चार पेज के आर्डर में रोक की बात कही है। लेकिन स्थिति पांडवो और कौरवो के गुरु द्रोणाचार्य के बेटे अश्वत्थामा के मरने जैसे है। पहले अश्वत्थामा की कथा को जान लीजिए: महाभारत युध्द के समय गुरु द्रोणाचार्य जी ने हस्तिनापुर राज्य के प्रति निष्ठा होने के कारण कोरवो का साथ देना उचित समझा। अश्वत्थामा भी अपने पिता की तरह शास्त्र व शस्त्र विद्या मे निपूण थे। महाभारत के युद्ध में उन्होंने सक्रिय भाग लिया था। महाभारत युद्ध में ये कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे। उन्होंने भीम-पुत्र घटोत्कच को परास्त किया तथा घटोत्कच पुत्र अंजनपर्वा का वध किया। उसके अतिरिक्त द्रुपदकुमार, शत्रुंजय, बलानीक, जयानीक, जयाश्व तथा राजा श्रुताहु को भी मार डाला था। उन्होंने कुंतीभोज के दस पुत्रों का वध किया। पिता-पुत्र की जोडी ने महाभारत युध्द के समय पाण्डव सेना को तितर-बितर कर दिया। पांडवो की सेना की हार

मुरली का सीमेंट प्‍लांट बिकने की खबर थी झूठी!

मुरली इंडस्‍ट्रीज के शेयरों पर पिछले समय दांव लगाकर बड़ा पैसा कमाने की इच्‍छा रखने वाले निवेशकों को जोरदार झटका मैक्सिको की सीमेंट कंपनी सीमेक्स सैब द सीवी ने दिया है। इस कंपनी ने यह साफ कर दिया है कि उसने कभी भी मुरली इंडस्‍ट्रीज के सीमेंट प्‍लांट को खरीदने के लिए बातचीत तक नहीं की। कंपनी ने दो टूक शब्‍दों में कहा है कि सीमेक्‍स न तो इस सौदे में शामिल थी और न ही है। मीडिया में आई खबर के बाद सीमेक्‍स ने अपनी स्थिति साफ कर दी है। जबकि, मुरली इंडस्‍ट्रीज अब चुप है। सेबी ने पिछले दिनों इस कंपनी के प्रमोटरों को एक पुराने मामले में शेयर बाजार में अपने शेयर बेचने से रोक दिया है। बाजार के कुछ खिलाडि़यों का कहना है कि मुरली इंडस्‍ट्रीज के प्रमोटरों और इस शेयर में काम कर रहे कुछ ऑपरेटरों ने मिलकर मीडिया में यह खबर परोसवाई की मैक्सिको की सीमेंट कंपनी ने उसके प्‍लांट को खरीदने की तैयारी कर रही है। इस खबर के बाद मुरली इंडस्‍ट्रीज के शेयरों को पंख लग गए। निवेशकों में मुरली इंडस्‍ट्रीज के शेयर खरीदने के लिए अफरातफरी मच गई और लगा जैसे इस कंपनी के शेयर नहीं लिए तो बहुत कुछ उनके हाथ से छूट जाएगा। इसी क