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शेयर बाजार में लूट के दो वैध तरीके

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भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों को ऑपरेटरो, पंटरो और कंपनियों के प्रमोटरों द्धारा लूटा जाना कोई नई बात नहीं है। लेकिन इसमें सेबी और शेयर एक्‍सचेंज भी जब शामिल होता है तो बात गंभीर हो जाती है। पुराने किस्‍सों को दरकिनार कर दें। अब दो मामलों को देखें...पहला रिलायंस पेट्रोलियम में जो हुआ। रिलायंस पेट्रोलियम 295 रुपए से ऊपर बिककर अब 190 रुपए के करीब आ गया है और जिन निवेशकों ने इसमें बढ़त कायम रहने की उम्‍मीद से खरीद की थी, अब पछता रहे हैं कि वे बाजार में फैली इस खबर के चक्‍कर में आ गए कि यह जल्‍दी ही 350 रुपए और साल भर में हजार रुपए हो जाएगा। कितने निवेशकों ने यह जानने की कोशिश की कि रिलायंस पेट्रोलियम का कामकाज किस गति से चल रहा है और रिफाइनरी लगने के साथ संचालन कब से होने लगेगा। रिलायंस प्रबंधन ने जिस तरह रिलायंस पेट्रोलियम के शेयर बेचे और डिसक्‍लोज किया कि हमने यह हिस्‍सेदारी खुले बाजार में बेची है, उस पर सेबी की तत्‍काल कार्रवाई न होना कई सवाल खड़े करता है। प्रमोटर या मुख्‍य कंपनी जब शेयर बेच रही थी तो उसका रोजाना खुलासा क्‍यों नहीं हुआ। कितने निवेशकों को यह पता था कि रिलायंस इंडस्‍ट्र

एफ एंड ओ में नए 15 खिलाड़ी

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नेशनल स्‍टॉक एक्‍सचेंज ने आज 15 कंपनियों की सूची जारी की है, जिन्‍हें 30 नवंबर 2007 से एफ एंड ओ सेगमेंट में शामिल किया जाएगा। यानी भारी उठापटक के लिए 15 और कंपनियां। यह सूची इस तरह है : जिंदल सॉ, केपीआईटी क्‍युमिंस इंफोसिस्‍टम, डेवलमेंट क्रेडिट बैंक, हिंदुस्‍तान जिंक, मोटर इंडस्‍ट्रीज, इंफो एज, निट, ग्रेट ऑफशोर, वायर एंड वायरलैस, रेडिंगटॉन इंडिया, नेटवर्क 18 फिनकैप, ग्‍लोबल ब्राडकॉस्‍ट न्‍यूज, इस्‍पात इंडस्‍ट्रीज, हिंदुस्‍तान ऑयल एक्‍सप्‍लोरेशन, गितांजली जैम्‍स लिमिटेड।

इंडेक्‍स पर नहीं शेयर पर रखें नजर

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अमरीकी और एशियाई शेयर बाजारों के रुझान का असर भारतीय शेयर बाजार पर पड़ने की बात और उससे उपजने वाले भय से अब निवेशक यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि कल क्‍या होगा। निवेशकों के लिए इस तरह की चिंता करना जायज है और हर निवेशक को यह रणनीति तो बनानी व बदलनी होगी कि नया निवेश कहां किया जाए। शेयर, सोना, बैंक जमा, बांड आदि...आदि...या फिर घरेलू बाजार अथवा विदेशी बाजार जहां रिटर्न उम्‍दा मिलने की संभावना हो। शेयर बाजार में जरा सी भी मंदी की आहट हर निवेशक को बिकवाली पर उतरने के लिए सोचने को मजबूर कर देती है और लोग बार बार बस यही सवाल करते हैं कि अब क्‍या करें। क्‍या पूरा पोर्टफोलियो बेच दें। एक दिन में कई लोग तो यही सवाल 25 बार कर देते होंगे, लेकिन हर बढ़त पर उत्‍साह और हर गिरावट पर चिंता ठीक नहीं है यदि आप लंबी अवधि के निवेशक हैं तो। हमारी राय में भारतीय शेयर बाजार में अगले दस साल तक तेजी का माहौल बना रहे तो अचरज नहीं होना चाहिए। हो सकता है तेजी का यह माहौल इससे भी ज्‍यादा समय तक बना रहे। हालांकि, यह भी सच है कि तेजी हर सेक्‍टर और हर शेयर में नहीं रहेगी। इसलिए आपको बेहतर कंपनियों का चयन करना होगा और इस

जेके लक्ष्‍मी सीमेंट एक उम्‍दा स्‍टॉक

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उत्‍तर और पश्चिम भारत के सीमेंट बाजार में मजबूत खिलाड़ी जेके लक्ष्‍मी सीमेंट लिमिटेड एक बेहतर स्‍टॉक है। यह कंपनी जिस तरह प्रगति कर रही है उससे यह लगता है आने वाले दिनों में यह सीमेंट क्षेत्र का एक महंगा स्‍टॉक होगा। दलाल स्‍ट्रीट के पंटरों पर भरोसा करें तो अगले 15 दिनों के बाद सीमेंट शेयरों में खासा करंट दिख सकता है। जेके लक्ष्‍मी सीमेंट की स्‍थापित क्षमता 34 लाख टन सालाना है। समय पर अपनी क्षमता का विस्‍तार करने की वजह से आने वाले दो साल में यह जबरदस्‍त ग्रोथ करेगी। कंपनी ने वर्ष 2009 की दूसरी छमाही तक अपनी क्षमता को बढ़ाकर 50 लाख टन करने की योजना बनाई है। चालू वित्‍त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी के उत्‍पादन में 40 फीसदी और बिक्री में 36 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। इसी अवधि में 50 किलो के बैग का दाम तिमाही दर तिमाही 2.4 फीसदी बढ़कर 154 रुपए पहुंच गया है। बेहतर वोल्‍यूम और दामों को देखते हुए वर्ष दर वर्ष कंपनी की शुद्ध बिक्री 267 करोड़ रूपए पहुंच जाने का अनुमान है। यदि हम प्रति टन सीमेंट उत्‍पादन लागत की बात करें तो जेके लक्ष्‍मी सीमेंट की लागत दूसरी तिमाही में 4.6 फीसदी सालाना हिस

शेयर बाजार का बड़ा बंटाढार नहीं

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दिवाली के बाद गुजरात घूमने चले जाने से वाह मनी पर कोई भी पोस्‍ट नहीं डाल पाया। शेयर बाजार में अहम भूमिका निभाने वाले इस राज्‍य से लौटते हुए पाया कि बाजार काफी टूट चुका है। भारतीय शेयर बाजार में इस समय चल रही गिरावट से ज्‍यादातर निवेशक घबराए हुए हैं और अपना पोर्टफोलियो हल्‍का करने में जुटे हैं। शेयर बाजार में एक सप्‍ताह पहले जब हजार अंक का उछाल आया तो ये ही निवेशक पोर्टफोलियो को बड़ा करने में जुटे थे लेकिन जरा सी नरमी देखने की आदत नहीं होने से अब बिकवाली पर उतर आए हैं। अमरीकी बाजार में मंदी के खासे संकेत होने से भारतीय शेयर बाजार का भी जायका बिगड़ने की बात हर कोई कह रहा है लेकिन हम इस बात को दूसरे तरीके से लेते हैं। मसलन एक निवेशक को जब एक बाजार में पैसा कमाने को नहीं मिलता है तो वह दूसरे बाजार की तलाश करता है, जहां उसे बेहतर रिटर्न मिल सके। रिटर्न के मामले में भारतीय बाजार आने वाले कई वर्ष तक बेहतर रहेगा। जिसकी वजह से अमरीकी बाजार के टूटने पर भी पैसा भारतीय बाजार में आता रहेगा। इस समय दुनिया भर के बड़े संस्‍थागत निवेशक भारतीय बाजार में निवेश करने के लिए लालायित हैं। सेबी अध्‍यक्ष भी क