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फर्टिलाइजर शेयरों पर रखें नजर

देश में जून से सितंबर के दौरान मानसून के सामान्‍य रहने की संभावना से आज फर्टिलाइजर शेयरों में तेजी आई। केंद्र सरकार के मुताबिक इस साल मानसून लंबी अवधि के औसत का 99 फीसदी रहेगा। निवेशकों को अब फर्टिलाइजर और ट्रैक्‍टर कंपनियों के शेयरों पर नजर रखनी चाहिए। राष्‍ट्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर 4.96 फीसदी बढ़कर आज 63.45 रुपए पर जा पहुंचा। चंबल फर्टिलाइजर 9.32 फीसदी चढ़कर 56.90 रुपए, नेशनल फर्टिलाइजर 8.94 फीसदी तेज होकर 47.50 रुपए, जीएनएफसी 2.90 फीसदी तेज होकर 145.60 रुपए, नागार्जुन फर्टिलाइजर 6.97 फीसदी बढ़कर 41.45 रुपए, फर्टिलाइजर एंड केमिकल 4.98 फीसदी चमककर 27.40 रुपए, कोरोमंडल फर्टिलाइजर 3.36 फीसदी सुर्ख होकर 121.60 रुपए, जुआरी इंडस्‍ट्रीज 3.06 फीसदी बढ़कर 242.75 रुपए, स्पिक 8.95 फीसदी तेज होकर 27.40 रुपए, खेतान केमिकल 4.92 फीसदी बढ़कर 65 रुपए, बसंत एग्रो टेक 9.98 फीसदी चढ़कर 50.70 रुपए, धरमसी मोरारजी 7.60 फीसदी सुर्ख होकर 13.45 रुपए, शिवा फर्टिलाइजर 4.89 फीसदी तेज होकर 23.60 रुपए और रामा फास्‍फेट्स 4.98 फीसदी बढ़कर 6.96 रुपए पर बंद हुआ। गिरने वालों में जीएसएफसी, दीपक फर्टिलाइजर और एमपी एग

शेयर बाजार में रहेगी खासी उथल पुथल

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अमरीकी अर्थव्‍यवस्‍था पर छाए मंदी के बादल अभी छंटे नहीं हैं जिसकी वजह से भारतीय शेयर बाजार में भी निवेशकों को इस सप्‍ताह खास उम्‍मीद नहीं रखनी चाहिए। इस सप्‍ताह इंफोसिस, विप्रो, रिलायंस पेट्रो, रिलायंस इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, एनडीटीवी, एचसीएल टेक्‍नो, रोल्‍टा इंडिया और जैपी होटल्‍स सहित अनेक कंपनियां अपनी चौथी तिमाही के नतीजे पेश करने जा रही हैं। लेकिन बाजार विश्‍लेषकों को इन नतीजों से कोई खास आशा नहीं हैं। साथ ही बढ़ती महंगाई दर पर इस सप्‍ताह बड़ा राजनीतिक हो हल्‍ला हो सकता है, जो बाजार की सेहत को और बिगाड़ सकता है। इस बीच, जी 7 देशों ने वैश्विक वित्त बाजार की हालत उम्मीद से कहीं ज्यादा खराब बताई है। इन देशों ने दुनिया को इस संकट से निकालने के लिए जरूरी मौद्रिक और वित्तीय कदम उठाने का प्रण किया है लेकिन यह कदम क्या होंगे इसका खुलासा नहीं किया। पूंजी बाजार को पटरी पर लाने के लिए 100 दिन का एक कार्यक्रम बनाया है। वित्तीय कंपनियों से कहा गया है कि वे अपनी अर्ध वार्षिक आमदनी में साफ तौर पर बताएं कि उनका कितना निवेश डूबने के कगार पर है ताकि हालात का सही जायजा लिया जा सके। बॉम्‍बे स्‍टॉक एक्‍सचे

मान न मान, मैं तेरा मेहमान

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आपने यह कहावत जरुर सुनी होगी..मान न मान मैं तेरा मेहमान...लेकिन अब भारतीय कार्पोरेट जगत में इस समय चल रही जंग में मेहमान नहीं मेजबान बनने की तैयारी हो रही है। रैनबक्‍सी समूह की माने जाने वाली कंपनी सोलरेक्‍स फार्मास्‍युटिकल ने ओर्किड कैमिकल्‍स एंड फार्मास्‍युटिकल्‍स पर कब्‍जा जमाने की जंग तेज कर दी है। वहीं, ओर्किड कैमिकल्‍स के कर्ताधर्ता राघवेंद्र राव ने अपने पास रखे 50 लाख वारंट को 7.6 फीसदी इक्विटी में बदलकर अपनी कुर्सी सलामत रखने की कवायद शुरु कर दी है। राव की इच्‍छा के विरुद्ध यह जोर जबरदस्‍ती टेकओवर करने का भारतीय कार्पोरेट जगत में पहला मामला सामने आया है। राघवेंद्र राव अपनी कंपनी को बचाने में पैसे टके की दिक्‍कत महसूस कर रहे हैं। राव वारंट को इक्विटी में बदलते हैं तो उन्‍हे इसके लिए 90 करोड़ रुपए जुटाने होंगे। इन वारंट को परिवर्तित करने की डेड लाइन 31 अगस्‍त 2008 है। हालांकि, इससे पहले 17 मार्च को मार्जिन लगी बिकवाली में राव को शेयर बेचने पर 75 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है और कंपनी में उनका हिस्‍सा घटकर 15.8 फीसदी रह गया है। साथ ही राव ने 65 करोड़ रुपए का कर्ज ले रखा है। ओर्क

शेयर बाजार में सुधार टिकने की आस नहीं

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भारतीय शेयर बाजार में किसी बड़े चमत्‍कार की आशा करना उचित नहीं है। हमने दो सप्‍ताह पहले यह बात कही थी लेकिन उस समय थोड़ी सी बढ़त से निवेशकों को यह लगा था कि बाजार अब बॉटम आउट कर रहा है। लेकिन अमरीकी अर्थव्‍यवस्‍था के हो रहे बेडागर्क से कोई नहीं बच पाएगा। दुनिया के सबसे बड़े निवेशकों में शुमार जार्ज सोरोस का कहना है कि मंदी की कहानी तो 1980 से लिखी जा रही थी। वे कहते हैं कि इस समय शेयर बाजार में जो भी सुधार दिख रहे हैं वे टिक नहीं पाएंगे और मंदी जारी रहेगी। महंगाई दर के तीन साल के उच्‍च स्‍तर सात फीसदी पहुंच जाने, औद्योगिक उत्‍पादन घटने, अनेक राज्‍यों में आने वाले विधानसभा चुनाव और इसके बाद लोकसभा चुनाव की आहट के साथ अमरीकी मंदी के बढ़ते प्रेत ने सरकार की नींद उड़ा दी है। आर्थिक मंदी के साथ बेरोजगारी बढ़ी तो मौजूदा सरकार के लिए अगला चुनावी समर जीतना कठिन हो जाएगा इसलिए सरकार हर तरह से महंगाई को कम करने के साथ औद्योगिक मोर्चे की मार्च पास्‍ट जारी रखने के प्रयास कर रही है। शेयर बाजार के खिलाडि़यों की नजर सरकारी कदमों के साथ कार्पोरेट नतीजों पर टिकी हैं। आईटी कंपनी इंफोसिस के नतीजे 15 अप्र

शेयर बाजार की सार्थक बाजीगरी

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शेयर बाजार के निवेशकों ने पिछले ढाई महीने में जिस तरह अपने निवेश को धुलते हुए देखा है, उसने अधिकतर निवेशकों की कमर तोड़ दी है। इस समय कोई भी निवेशक नया निवेश करने के मूड में नहीं है लेकिन कुछ बातों को ध्‍यान में रखा जाए तो हर दशा में इस बाजार का बाजीगर बना जा सकता है। बाजीगर निवेशक हमेशा बेहतर कंपनियों की सूची बनाने में लगे रहते हैं जिनमें सही समय और सही भाव पर निवेश किया जा सके। शेयर बाजार की हर गिरावट शेयर खरीदने का मौका देती है लेकिन इसके लिए जरुरी है कि ऐसी मंदी के समय फंड पास हो। इसलिए अपने पिछले निवेश में उचित भाव पर मुनाफावसूली करते रहना जरुरी है। वारेन बफेट का कहना है कि वे किसी कंपनी में निवेश के लिए बेहतर समय का इंतजार बरसों तक कर सकते हैं। बेहतर कंपनियों के चयन से पोर्टफोलियो उम्‍दा बनता है। जिस तरह बगैर ठोस परिकल्‍पना के एक परियोजना खड़ी नहीं की जा सकती वैसे ही बेहतर और मजबूत कंपनियों के अभाव में मजबूत पोर्टफोलियो नहीं बनाया जा सकता। कमजोर फंडामेंटल और अफवाहों या कानाफूसी के आधार पर चलने वाले शेयर मंदी में पानी पानी हो जाते हैं जिससे आम निवेशक अपने को पूरी तरह साफ पाता है।